Ek Bhatka rahi , एक भटका राही , ਇੱਕ ਭਟਕਿਆ ਰਾਹੀ
Rajpal Yadav Bathinda Punjab India
Saturday, October 27, 2012
Saturday, September 29, 2012
एक पत्ता
एक पत्ता
मैं रोज सुबह सेर करने के लिए लिए जाया करता था , उस दिन मैं सुबह जल्दी सेर करने के लिया चला गिया , जब मैं वहा पंहुचा तो मौसम बहुत सुहाना था , घर से पैदल जाने के कारन मैं थक चूका था ,
मैं एक पेड़ के निचे आराम करने के लिए बेठ गया , मौसम सुहाना होने होने के कारन हवा बहुत अच्छी
चल रही थी और पंछी चेह्चाहा रहे थे , एक दम से हवा कुछ समय तेज हुई और बंद हो गई ,
मेरा धयान उपर की तरफ गया ,वहा मैंने देखा एक छोटा सा पत्ता बहुत सुन्दर लग रहा था , दुसरे और पत्ते
उस के इर्द गिर्द खड़े थे , उस दृश्य को देख कर मुझे लगा जैसे उस नन्हे पत्ते का जन्म दिन मनाया जा रहा हो ,और दुसरे लोग तालिया वजा रहे थे , उस दृश्य ने मुझे पत्ते के जीवन के बारे मैं सोचने के लिए मजबूर कर दिया .
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